लहरें उठीं ज्वार बन मन में , जीव जंतु खग चहके वन में। लहरें उठीं ज्वार बन मन में , जीव जंतु खग चहके वन में।
गुरु गोविन्द के मध्य गुरु ही प्रथम पुज्जते जिसने बताय भगवान् है। गुरु गोविन्द के मध्य गुरु ही प्रथम पुज्जते जिसने बताय भगवान् है।
कामनाएं तभी हमारी पूरी हो जब कर्तव्य बोध न बिसराएं। कामनाएं तभी हमारी पूरी हो जब कर्तव्य बोध न बिसराएं।
प्राण पखेरू उड़ जाते हैं रह जाती है केवल कस्तूरी की मृगतृष्णा। प्राण पखेरू उड़ जाते हैं रह जाती है केवल कस्तूरी की मृगतृष्णा।
वरना तुम्हारा नामो निशान मिट जाता भूगोल से, इसका तुम्हें बोध नहीं। वरना तुम्हारा नामो निशान मिट जाता भूगोल से, इसका तुम्हें बोध नहीं।
उनको अपने अंदर के ज्वाला से परिचय करवाना चाहती हूँ। उनको अपने अंदर के ज्वाला से परिचय करवाना चाहती हूँ।